देहरादून, उत्तराखंड।
भारत और नेपाल के बीच तल्खी को देखते हुए उत्तराखंड के पर्यटन, धर्मस्व संस्कृति और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि यदि भारत और नेपाल के बीच सद्भाव और आपसी प्रेम रहेगा तो हम विकास के नये आयाम को छूएंगे.
सतपाल महाराज का यह भी कहना है कि नेपाल से हमारे रोटी-बेटी के संबंध रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल के संबंधों की चर्चा हमारे पुराणों में भी आती है. केदारनाथ और पशुपतिनाथ का आपस में गहरा संबंध है.
उन्होंने कहा कि पाण्डव जब गोत्र हत्या के पाप से बचने के लिए केदारनाथ गए तो भगवान शंकर ने उन्हें देखकर भैंसे का रूप धर लिया और अपना सिर पहाड़ में धंसा दिया जो कि नेपाल में प्रकट हुआ. उसे ही हम पशुपति नाथ के रूप में जानते हैं.
भगवान शिव का दूसरा धड़ वाला हिस्सा केदारनाथ के नाम से भारत में स्थापित है. इसलिए हमें समझना चाहिए कि हम दो देश अवश्य हैं परन्तु आत्मा शिवरूप में एक ही है. उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल के बीच कई योजनाओं पर कार्य चल रहा है. जिसमें 5040 मेगावाट की 31 हजार 108 करोड़ की पंचेश्वर डैम विद्युत परियोजना भी है.
इसकी झील की लम्बाई 80 किमी है. इस झील में दुनिया की अनेक जल-क्रीड़ाएं भी सम्पन्न होंगी. पंचेश्वर बनने से भारत और नेपाल के बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार भी प्राप्त होगा.
सतपाल महाराज का यह भी कहना है कि प्रकृति की जो सम्पदा जल रूप में बह रही है, यदि उसको रोककर बिजली बनाई जायेगी तो नेपाल के सूदूर गांवों में जहां सदियों से अंधेरा पसरा है, वहां प्रकाश की किरण पहुंचेगी. इसलिए दोनों देशों के बीच सद्भाव और आपसी प्रेम जरूरी है, क्योंकि आपसी संवाद के जरिये ही हम विवादों का हल कर सकते हैं.
हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल