भारत के सामने घुटने टेकते हुए चीन भले ही गलवान घाटी से पीछे हटने को राजी हो गया है. कल यानी सोमवार को चीनी सेना ने अपने टैंट पीछे करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन इसके बाद भी भारत पूरी तरह से चौकन्ना है. भारत अब आंख बंद करके चीन पर भरोसा नहीं कर रहा है.
पीठ में छूरा घोंपना और अपने वादे से पलट जाना चीन की आदत है. इसी को देखते हुए भारतीय वायुसेना रात भर LAC की निगरानी करती रही. पीएम मोदी ने साफ कहा कि ये 1962 का भारत नहीं है, ये आज का हिन्दुस्तान है. और आज का हिन्दुस्तान अपनी सरजमी की रक्षा करना जानता है.
चीन की दोगली नीति को समझते हुए भारतीय वायुसेना का लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे रात भर सरहद की पहरेदारी करता रहा. अपाचे को फॉरवर्ड एयरबेस पर नाइट ऑपरेशन पर लगाया गया था. अपाचे के अलावा चिनूक और मिग-29 सहित भारतीय वायुसेना के कई लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर को LAC की नगहबानी में लगाया गया है. जिनके जरिए चीन पर पैनी नजर रखी जा सके.
LAC पर चल रहा है युद्धाभ्यास
चीन से किसी भी वक्त और किसी भी परिस्थिति में मुकाबला करने के लिए भारतीय सेनाएं एकदम तैयार हैं. अपनी शक्ति को और निखारने के लिए भारतीय वायुसेना लगातार बॉर्डर पर अभ्यास कर रही है और हर स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है. सिर्फ अपाचे ही नहीं बल्कि चिनूक सहित कई अन्य लड़ाकू विमान लेह के आसमान में अभ्यास कर रहे हैं.
62 में चीन ने घोंपा था पीठ पर खंजर
दोगलापन की चीन की फितरत में है. शायद 1962 में हम इस बात को नहीं जानते थे. जिस गलवान में आज दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं. 62 में भी ये इलाका चर्चा में था. उस वक्त भी चीनी सेना ने यहां कब्जा कर लिया था. जिसके बाद दोनों ओर के सैनिक यहां काफी दिनों तक डेरा डाले रहे.
15 जुलाई 1962 के अखबारों में चीन के पीछे हटने का समाचार छपा था. भारत ने ड्रैगन पर भरोसा कर लिया और निश्चिंत हो गया था, लेकिन ड्रैगन ने हमला कर दिया था. इस बार 6 जुलाई को चीन पीछे हटने को तैयार हो गया है. लेकिन इस बार भारत पुरानी गलती नहीं दोहरा रहा है. भारतीय वायुसेना लगातार चीनी सीमा की निगरानी कर रही है, ताकि ड्रैगन की हर चाल को नाकाम किया जा सका.