लद्दाख (Ladakh) के गलवान घाटी (Galwan Valley) में हुई हिंसक झड़प के बाद से ही भारत-चीन के बीच तनाव चरम पर है. इस तनातनी को कम करने के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत जारी है. हालांकि अभी तक की सारी वार्ताओं का कोई हल नहीं निकल सका है.
कल (30 जून को) एक बार फिर से दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता होनी है. इस बैठक में दोनों देशों के सैन्य अधिकारी आपस में सुलह करने का रोडमैप तैयार करेंगे. पिछले एक महीने में ये तीसरी कोर कमांडर स्तर की बैठक होगी.
ये बैठक भारतीय जमीन पर (चुशुल में) आयोजित की जा रही है. जबकि इससे पहले दोनों बैठकें चीन ने अपनी धरती पर मोल्डो में आयोजित की थी. इससे पहले हुई दो बैठकों में चीन ने पीछे हटने का आश्वासन दिया था, लेकिन हकीकत में उनको पूरा नहीं किया था.
15 जून की रात से पहले भी चीन ने भारत की शर्त को मानते हुए LAC से पीछे हटने का आश्वासन दिया था. लेकिन चीनी सैनिकों ने अपने वादे को नहीं निभाया था. इतना ही नहीं भारतीय जवानों पर हमला भी कर दिया था. जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे. इस हिंसक झड़प में 45 चीनी सैनिक भी मारे गए थे. लेकिन चीन ने अभी तक इसका आंकड़ा जारी नहीं किया है.
दोनों देशों की ऑफिसर बातचीत के बाद भी चीन लगातार LAC पर अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने में लगा है. चीन की नजर अब गलवान घाटी के बाद पैंगोंग झील क्षेत्र की तरफ है. चीन तेजी से गलवान घाटी के बाद पैंगोंग झील क्षेत्र में अपनी सैन्य तैनाती को बढ़ा रहा है.
चीन के जवाब में भारत भी सीमा पर अपनी ताकत को बढ़ाने में लगा है. थलसेना के कई अतिरिक्त टुकड़ियों को सीमा पर तैनात कर दिया गया है. बैकअप फोर्स की संख्या को भी काफी बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा वायुसेवा को भी अलर्ट कर दिया है. सुखोई और मिराज जैसे लड़ाकू विमान अब LAC की निगहबानी कर रहे हैं.