नई दिल्ली. इस साल फोन कंपनियों के लिए एक के बाद एक बुरी खबरें आ रही हैं. वहीं हुवावे के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. हुवावे ने सभी कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा स्मार्टफोन मेकर बनकर सामने आया है.
इससे पहले तक सैमसंग पहले नंबर पर आता रहा हैं. लेकिन ये पहली बार है कि हुवावे ने सैमसंग को पीछे छोड़ दिया है.जबकि हुवावे को अमेरिका में बैन कर दिया गया है. अमेरिका में बैन किए जाने के बाद शायद ही किसी को लगा था कि हुवावे इस पोजीशन पर पहुंचेगा. मगर हुवावे ने सैमसंग को पीछे छोड़ते हुए ये कारनामा कर दिखाया.
काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने अप्रैल, 2020 में यह कमाल किया. काउंटरपॉइंट रिसर्च के वीपी नील शाह ने कन्फर्म किया कि हुवावे 19 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ कुछ वक्त के लिए नंबर 1 स्मार्टफोन मेकर बना और सैमसंग से आगे निकल गया.
सैमसंग 17 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर रहा है. हुवावे की इस सफलता के पीछे का कारण चीनी का खुद के प्रोडक्ट को खरीदना माना जा रहा है. चाइनीज कस्टमर्स ज्यादातर अपने देश की कंपनियों के सामान या अपने देश में बने सामानों को ही खरीदना पसंद करते हैं. यही कारण है कि यूएस सरकार की ओर से हुवावे को बैन किए जाने के बाद से चीनी लोगोन ने कंपनी के प्रॉडक्ट्स ज्यादा खरीदना शुरू कर दिया है. जिसके कारण चीन में हुवावे ने पिछले कुछ महीने से बेहतरीन परफॉर्म किया है.
सैमसंग के पीछे रहने का कारण कोरोना वायरस और लॉकडाउन को माना जा रहा है. कोरोना और लॉकडाउन के कारण सैमसंग के मार्केट्स पर असर पड़ा और भारत, यूएसए, लैटिन अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में पहले के मुकाबले सेल तेजी से घट गई.
देशों ने कोरोना के कहर को कम करने के लिए कड़े लॉकडाउन लगाए. जिसके कारण कुछ शहरों में कंपनी के स्मार्टफोन्स की डिमांड घटकर जीरो रह गई. हालांकि, चीन में मार्च, 2020 के बाद मार्केट खुल गए और हुवावे का सबसे इंपॉर्टेंट मार्केट बिजनस के लिए तैयार हो गया. यही वजह है कि जिस वक्त सैमसंग के डिवाइसेज की डिमांड घट गई, उसी दौरान हुवावे के फोन्स की जमकर सेल हुई.
हुवावे की इस कामयाबी को लंबे वक्त के तौर पर नहीं देखा जा रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि ये कुछ ही समय के लिए है. एक बार जब हालात ठीक हो जाएंगे तो एक बार फिर सैमसंग नंबर पर आ जाएगी. जिसक तरह से लोग अब चीनी के सामनों को खरीदने से कतरा रहे हैं और चीनी सामनों का boycott कर रहे हैं. ऐसे में कंपनी की ये सफलता ज्यादा समय के लिए नहीं है.